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शिक्षा जगत में अपनी स्वतन्त्र पहचान के लिए विख्यात आजमगढ़ जनपद के पश्चिमांचल में स्थित यह महाविद्यालय माँ भारती की अहर्निश जगाने वाले महान शिक्षा सेवी स्व० रमाशंकर सिंह द्वारा सन् 1971 ई0 में स्थापित हुआ था। इसके उद्भव में स्वतन्त्र भारत के जन्मदाता राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के जन्म शताब्दी पर्व का पावन संकल्प था, जिसकी स्मृति को चिरस्थायी रूप प्रदान करने तथा जिनके आदर्शों तथा सिद्धान्तों के समुन्नयन हेतु इस उच्च शिक्षा केन्द्र की स्थापना हुई थी। प्रारम्भ में इस महाविद्यालय को हिन्दी, संस्कृत, दर्शनशास्त्र, समाजशास्त्र, प्राचीन इतिहास, राजनीति शास्त्र, तथा भूगोल विषय में मान्यता प्राप्त हुई। इन विषयों में मान्यता प्राप्त करने के उपरान्त सन् 1973 ई० में अर्थशास्त्र, अग्रेंजी एवं मनोविज्ञान विषय में मान्यता प्राप्त हुई। सन् 1985ई0 में लक्ष्य के प्रति समर्पित उत्कृष्ट कर्मयोगी स्व० रमाशंकर सिंह जी के सत्प्रयासों तथा महाविद्यालय की उपलब्धियों को देखते हुए गोरखपुर विश्वविद्यालय द्वारा इसे दर्शनशास्त्र विषय में स्नातकोत्तर कक्षा की मान्यता प्राप्त हुई। पूर्व प्रबधंक स्व० रामअवध सिंह जी के सत्प्रयासों से सत्र 2005-06 से स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रम के अन्तर्गत हिन्दी एवं संस्कृत विषयों में भी एम०ए० स्तर पर कक्षाएं प्रारम्भ हैं तथा सत्र 2014-15 से स्नातक स्तर पर गृहविज्ञान एवं शिक्षाशास्त्र तथा स्नातकोत्तार स्तर पर भूगोल एवं समाजशास्त्र विषयों में कक्षाएं प्रारम्भ हैं। सत्र 2019-20 से स्नातक स्तर पर कृषि संकाय के अन्तर्गत बी.एससी.एजी. एवं स्नातकोत्तर स्तर पर गृहविज्ञान, प्राचीन इतिहास, राजनीति शास्त्र, विषयों में कक्षाएं प्रारम्भ है। विभिन्न सोपानों से विकसित होता हुआ यह महाविद्यालय अनुशासन एवं परीक्षाफल में गोरखपुर विश्वविद्यालय, वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय तथा अब महाराजा सुहेल देव राज्य विश्वविद्यालय आजमगढ़ से सम्बद्ध महाविद्यालयों में श्रेष्ठ स्थान रखताा है। वर्तमान सरंक्षक एवं व्यवस्थापक डा० नितिन कुमार सिंह जी के सत्प्रयासों से यह महाविद्यालय निरन्तर प्रगति के पथ पर अग्रसर है।
सत्य, अहिंसा एवं प्रेम महाविद्यालय का सिद्धान्त वाक्य है। महाविद्यालय के सभी क्रियाकलाप स्वदेश-प्रेम, राष्ट्रीय एकता-अखण्डता, मानव-सेवा, विश्व-बन्धुत्व तथा जीवन में उच्चादर्शों पर आधारित है, जिसका सन्देश राष्ट्रपिता का अभिप्रेत था। उत्कृष्ट शिक्षा द्वारा प्रखर, उन्नत, विकसित, कर्मनिष्ठ, अनुशासित युवा-पीढ़ी का निर्माण ही महाविद्यालय का मुख्य लक्ष्य है।
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