Decipline
महाविद्यालय छात्र-जीवन में अनुशासन को सर्वोच्च मान्यता देना हैं | इस तथ्य को ध्यान में रखकर महाविद्यालय में प्राचार्य के निर्देशन में अनुशासन परिषद् है, जिसका प्रमुख मुख्य अनुशासनाधिकारी हैं | अनुशासनाधिकारी अपनी सुविधा को ध्यान में रखकर अनुशासन-परिषद् का गठन करेगा, जो अनुशासन व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित करने में सक्रिय होगा |
महाविद्यालय में प्रवेश पाने वाले प्रत्येक छात्र से निर्दिष्ट अनुशासन एवं उत्तम आचरण की अपेक्षा की जाती हैं | यदि कोई छात्र/छात्रा अनुशासनहीनता, चरित्रहीनता अथवा किसी भी प्रकार के दुव्यर्वहार का दोषी पाया जाता हैं तो प्राचार्य, अनुशासनाधिकारी की संस्तुति पर अपराध की प्रकृति के अनुसार निम्नलिखित दण्ड दे सकते हैं |
- अर्थदंड
- निलम्बन
- निष्कासन
- निस्सारण
अर्थदण्ड अपराध की प्रवृति तथा उसकी गंभीरता पर निश्चित होगी, जो कम से कम २००/- रु० तक होगी | निलम्बन की अवधि में छात्र किसी भी कक्षा में उपस्थित होने की अनुमति न प्राप्त कर सकेगा | निष्कासन सत्रान्त से कम का न होगा तथा निस्सारण का दण्ड जिस वर्ष दिया गया हो, उसके अगले गो वर्षों तक प्रभाव होगा | निलम्बन एवं अर्थदण्ड की सजा पाने के बाद यदि कोई छात्र जबरदस्ती कक्षाओं में घुसाने का प्रयास करता हुआ पाया जाता हैं या किसी शिक्षक, कर्मचारी अथवा छात्र से अशिष्टता करता हुआ पाया जाता हैं तो भारतीय दण्ड संहिता के अनुसार उसके खिलाफ वैधानिक कार्यवाही का भी विचार किया जा सकेगा | अन्य महाविद्यालयों में एडमिशन लेकर इस महाविद्यालय की किसी कक्षा में बैठने वाले छात्रों के विरुद्ध भी वैधानिक कार्यवाही की जाएगी |
महाविद्यालय में तोड़-फोड़ करना, सामान्य प्रशासन में हिंसात्मक हस्तक्षेप करना, हड़ताल करना, तालाबंदी करना, गिरोहबंदी करना, छात्र/छात्राओं, कर्मचारियों, शिक्षकों एवं प्राचार्य के विरुद्ध अनुशासनहीन आचरण करना अथवा ऐसे किसी भी कार्य के लिए प्रेरित करना गंभीर अपराध माना जाएगा |
सामान्य अनुशासन बनाये रखने के लिए महाविद्यालय में प्रवेश प्राप्त प्रत्येक छात्र को निम्नलिखित सामान्य नियमों का पालन करना आवश्यक हैं :-
- अनुशासनाधिकारी द्वारा निर्देशित प्रत्येक मौखिक एवं लिखित निर्देशों का पालन करना अनिवार्य होगा |
- शिक्षण कार्य चलते समय कमरों के सामने न तो टहले, न ही भीड़ लगाये | बरामदे में अनावश्यक रूप से न टहलें |
- छात्रों का छात्राओं के कामन-रूम में जाना वर्जित है तथा छात्राओं के आवागमन में बाधा पैदा करना गंभीर अनुशासनहीनता होगी |
- महाविद्यालय भवन, दीवारों एवं प्रागण को साफ रखे तथा किसी प्रकार की भित्ति-लेखन न करे, जिससे परिसर की स्वच्छता प्राभावित हो |
- महाविद्यालय छोड़ते समय चरित्र प्रमाण-पत्र अनुशासनाधिकारी या संयोजक छात्र कल्याण समिति के कार्यालय से दिए जायेगे | चारित्र प्रमाण-पत्र प्राप्ति के लिए प्रार्थना पत्र प्राप्ति के लिए प्रार्थना पत्र कम से कम दो दिन पूर्व देना होगा |
- महाविद्यालय के किसी छात्र को एक बार चरित्र प्रमाण-पत्र दिए जाने के बाद दूसरा प्रमाण-पत्र विशेष परिस्थिति में ही दिया जा सकेगा |
- किसी भी छात्र/छात्रा को दो बार चेतावनी देने के बाद उसके द्वारा की गई अनुशासनहीनता को उसके चरित्र पंजिका में अंकित कर दिया जायगा |
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